Thursday, August 7, 2008

कुछ नहीं किया तो बी टेस्ट से क्या डर


चंडीगढ़. डोपिंग के आरोपों का सामना कर रही वेटलिफ्टर मोनिका देवी के मामले में कौन सच्च और कौन झूठा वाली कहानी सामने आ रही है। आमतौर पर यह कहा जाता है कि डोप टेस्ट में पकड़े जाने पर खिलाड़ी अपनी गलती नहीं मानता और वेटलिफ्टिंग के मामले में पिछले कई दाग इस बात को साबित भी करते हैं। अगर मोनिका बीजिंग में डोप टेस्ट में फेल हो जाती तो देश के ऊपर सबसे बड़ा दाग लग जाता। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि मोनिका ने एक बार भी बी सैंपल लेने की बात नहीं की।
वह कहती रही कि अगर मुझ पर लगे आरोप सही साबित होते हैं तो मुझे सरेआम गोली मार दी जाए। लेकिन अगर मोनिका सच बोल रही है तो उसने एक बार भी बी सैंपल लेने की बात क्यों नहीं की। बी सैंपल की फीस तीन हजार रुपए है और रिजल्ट भी 72 घंटे में आ जाता है। इससे मोनिका के पास अपने आप को साबित करने और बीजिंग जाने का मौका भी बना रहता।
सूत्रों के अनुसार मोनिका के चार डोप सैंपल में से उसे एक में पॉजिटव पाया गया है। कहा जा रहा है कि यह सैंपल 6 जून वाला हो सकता या फिर 28 जुलाई वाला। यह भी कहा जा रहा है कि मोनिका ने अपने आप को पाक-साफ साबित करने के लिए साई के डायरेक्टर(टीम) आर. के नायडू पर निशाना साधा है।
मोनिका का कहना है कि साई के डायरेक्टर (टीम) आर. के नायडू हमेशा से ही शैलजा को बीजिंग भेजना चाहते थे और जब शैलजा नहीं जा पाई तो उन्होंने मेरा भी पत्ता साफ कर दिया। इसका पता मुझे अप्रैल में ही चल गया था जब जापान में एशियन चैंपियनशिप के दौरान नायडू ने कहा था कि हम ओलंपिक में एक मैडल जीतना चाहते हैं और इसके लिए शैलजा बीजिंग जाएगी। मोनिका ने कहा कि अगर उस पर लगे आरोप सही साबित हो जाएं तो सरेआम उसे गोली मार दी जाए।
मैने अपना फर्ज निभाया: नायडू
मोनिका के आरोपों का जवाब देते हुए आर.के नायडू ने भास्कर से बातचीत में कहा कि अगर मोनिका ओलंपिक में पकड़ी जाती तो देश की इज्जत पर दाग लग जाता। इसलिए मैंने पहले ही मोनिका को बीजिंग जाने से रोका। जब मुझे एनडीटीएल(नेशनल डोपिंग टेस्टिंग लैब) से 5 तारीख की शाम को मैसेज आया कि मोनिका का एक सैंपल पॉजिटव है तो मैने तुरंत मोनिका को कहा कि तुम्हें 6 की शाम तक इंतजार करना होगा। मोनिका की फ्लाइट 7 अगस्त की थी। वैसे भी एनडीटीएल और एनएडीए (नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी) में डोप सैंपल लिए जाते हैं और ये दोनों साई के अंडर नहीं आतीं। जहां तक शैलजा की बात है तो यह पहले ही साफ था कि बीजिंग में मोनिका ही जाएगी।
कैसे होता है पॉजिटव सैंपल
किसी भी खिलाड़ी का डोप सैंपल तभी पॉजिटव होता है जब उसके यूरिन में नेंड्रोलोन की मात्रा 2 नैनोग्राम से ज्यादा पाई जाए। हालांकि मोनिका के केस में अभी यह पता नहीं चला है कि सैंपल में कौन सा स्टेरॉयड था। आमतौर पर वेटलिफ्टर, रेसलर, जूडोका और तैराक स्ट्रेंथ और मसल मास बढ़ाने के लिए इस स्टेरॉयड का यूज करते हैं। एनआईएस साई पटियाला के सीनियर स्पोर्ट्स साइंटिस्ट डॉ. अशोक आहुजा का मानना है कि सैंपल से छेड़छाड़ कतई संभव नहीं है क्योंकि यूरिन से लेकर उसे बोटल में जाने और सील करने का सारा काम खुद प्लेयर्स की देखरेख में होता है।

Wednesday, August 6, 2008

माधुरी ही बन सकती हैं रोजी





पिछले दिनों देव आनंद ने अपनी फिल्म ‘गाइड’ का रीमेक बनाने की घोषणा की। इसमें वहीदा रहमान द्वारा निभाए गए किरदार में वह किसे लेंगे, यह बात अब तक देव साहब भले ही साफ नहीं कर पाए हों, पर खुद वहीदा रहमान का मानना है कि अगर इस फिल्म की रिमेक बनता है तो सिर्फ माधुरी दीक्षित ही उनके किरदार के साथ न्याय कर पाएंगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ‘गाइड’ की रीमेक भले ही बन जाए, लेकिन उसकी तुलना मूल फिल्म से होगी।
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि मूल फिल्म से रीमेक बेहतर हो सकता है। हालांकि जब वह फिल्म आई थी उस वक्त का माहौल अलग था और आज का माहौल अलग है। हो सकता है रीमेक हिट भी हो जाए, लेकिन ‘गाइड’ ने जो मुकाम हासिल किया है वह मुकाम उसे मिलना मुश्किल है।’
रोजी का किरदार आज की कौन सी अभिनेत्री निभा सकती है? पूछने पर वहीदा ने सोच कर कहा, ‘मैं आज के नए जमाने की हरएक अभिनेत्री को तो नहीं जानती हूं, और जब जानती नहीं हूं तो उनकी अभिनय प्रतिभा का आकलन कैसे कर सकती हूं? फिर भी मुझे ऐसा लगता है कि माधुरी दीक्षित ही रोजी के किरदार को न्याय दे सकती हैं। वह न सिर्फ बहुत ही खूबसूरत हैं बल्कि डांस में भी माहिर हैं। हालांकि अब वह फिल्में नहीं कर रही हैं इसलिए वह काम करेंगी या नहीं, मैं नहीं जानती।’
‘गाइड’ की यादें ताजा करते हुए वहीदा ने बताया, ‘फिल्म पूरी होने के बाद देव आनंद मुझसे काफी जलने लगे थे क्योंकि फिल्म का ट्रायल देखकर सभी मेरी तारीफ कर रहे थे। एक दिन देव का मुझे फोन आया और उन्होंने कहा कि वह मुझसे काफी नाराज हैं। मैंने वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि फिल्म देखने के बाद सभी लोग आपकी तारीफ कर रहे हैं, मेरी कोई तारीफ नहीं कर रहा है। हालांकि वह मजाक में नाराजगी की बात कर रहे थे, लेकिन मैं थोड़ा सा डर गई थी।’


कलम पद्धति से जोड़ा अंगूठा

अहमदाबाद. एक व्यक्ति के कट कर अलग हुए अंगूठे को चिकित्सकों ने न केवल सही तरीके से जोड़ दिया बल्कि उसमें निरंतर रक्त संचार बना रहे इसके लिए भी विशेष व्यवस्था की गई। यह सफलता कलम पद्धति से ऑपरेशन के जरिये मिली है। कन्हैयालाल परमार नामक इस युवक का अंगूठा मशीन में आकर हाथ से अलग हो गया था।
यहां के सरैया प्लास्टिक सर्जरी एंड बर्न्‍स अस्पताल के प्लास्टिक और कास्मेटिक सर्जन डॉ. हेमंत सरैया ने बताया कि कटे अंगूठे की चमड़ी को निकालकर हड्डी को रॉड के सहारे हाथ में फिट किया गया। लगातार खून मिल सके, इसके लिए जांघ की चमड़ी को थोड़ा काटकर वहां अंगूठे को पट्टी बांधकर जोड़ दिया गया।
21 दिन रखा जांघ के पास : इस ऑपरेशन के बाद हाथ को जांघ के पास करीब 21 दिनों तक रखा गया। हालांकि इस पद्धति से अंगूठा तो ठीक हो गया, लेकिन उसमें कभी नाखून नहीं आ पाएगा।

Friday, August 1, 2008

चख लिया मंगल का पानी

न्यूयॉर्क. रसायन शास्त्र में छूकर, सूंघकर और चखकर रासायनिक पावडरों की प्रारंभिक पहचान की जाती है। अब नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल पर पानी का पता लगाकर उसे छूकर चख भी लिया है।
नासा के उपग्रह फीनिक्स मार्स लैंडर में किए परीक्षणों के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने लैंडर की रोबोटिक आर्म द्वारा लाए गए मिट्टी के नमूने में पानी की पहचान की है। रोबोटिक आर्म ने बुधवार को मिट्टी के सैंपल एक ऐसे उपकरण को दिए थे जो सैंपल को गर्म कर वाष्प की पहचान करता है। इसी यंत्र से पानी की मौजदूगी साबित हुई।
पहली बार :
एरिजोना यूनिवर्सिटी में इस अभियान से जुड़े वैज्ञानिक विलियम बॉयंटन ने कहा, ‘हमें पानी मिला है। हमें इस बर्फ-जल के प्रमाण पहले भी मिले थे, लेकिन इस जल को पहली बार ‘छुआ’ और ‘चखा’ गया है।’
अभियान बढ़ाया :
नासा का यह भी कहना है कि अब तक प्राप्त सभी नतीजे उत्साहित करने वाले हैं और स्पेसक्राफ्ट को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। परिणामों से खुश नासा ने इस अभियान को 30 सितंबर तक आगे बढ़ा दिया है। वास्तविक मिशन तीन माह का ही था, जिसकी अवधि अगस्त के अंत में समाप्त हो रही है।
फिनिक्स की प्रयोगशाला :
फीनिक्स की प्रयोगशाला में आठ ओवनों (भट्टियों) में बर्फ से परिपूर्ण मिट्टी का परीक्षण दो बार विफल होने के बाद शुद्ध मिट्टी के परीक्षण का निर्णय लिया गया था। मिट्टी को जब 32 डिग्री फेरनहाइट के तापमान पर पिघलाकर देखा तभी यह पुष्टि हो सकी कि इसमें बर्फ है।