न्यूयॉर्क. रसायन शास्त्र में छूकर, सूंघकर और चखकर रासायनिक पावडरों की प्रारंभिक पहचान की जाती है। अब नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल पर पानी का पता लगाकर उसे छूकर चख भी लिया है।
नासा के उपग्रह फीनिक्स मार्स लैंडर में किए परीक्षणों के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने लैंडर की रोबोटिक आर्म द्वारा लाए गए मिट्टी के नमूने में पानी की पहचान की है। रोबोटिक आर्म ने बुधवार को मिट्टी के सैंपल एक ऐसे उपकरण को दिए थे जो सैंपल को गर्म कर वाष्प की पहचान करता है। इसी यंत्र से पानी की मौजदूगी साबित हुई।
पहली बार :
एरिजोना यूनिवर्सिटी में इस अभियान से जुड़े वैज्ञानिक विलियम बॉयंटन ने कहा, ‘हमें पानी मिला है। हमें इस बर्फ-जल के प्रमाण पहले भी मिले थे, लेकिन इस जल को पहली बार ‘छुआ’ और ‘चखा’ गया है।’
अभियान बढ़ाया :
नासा का यह भी कहना है कि अब तक प्राप्त सभी नतीजे उत्साहित करने वाले हैं और स्पेसक्राफ्ट को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। परिणामों से खुश नासा ने इस अभियान को 30 सितंबर तक आगे बढ़ा दिया है। वास्तविक मिशन तीन माह का ही था, जिसकी अवधि अगस्त के अंत में समाप्त हो रही है।
फिनिक्स की प्रयोगशाला :
फीनिक्स की प्रयोगशाला में आठ ओवनों (भट्टियों) में बर्फ से परिपूर्ण मिट्टी का परीक्षण दो बार विफल होने के बाद शुद्ध मिट्टी के परीक्षण का निर्णय लिया गया था। मिट्टी को जब 32 डिग्री फेरनहाइट के तापमान पर पिघलाकर देखा तभी यह पुष्टि हो सकी कि इसमें बर्फ है।
Friday, August 1, 2008
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