टालमटोल..। इस शब्द से तो हम सभी परिचित होंगे ही। अगर इसने एक बार हमारी जिंदगी में घुसपैठ कर ली, तो समझो तभी से हम वह सब खोने लगेंगे जो अब तक हमने पाया था। इससे फिर हम कहीं भी नहीं पहुंच पाएंगे।
सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? सबसे पहले तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि टालमटोल की प्रवृत्ति की जिंदगी में घुसपैठ होने ही नहीं दी जाए। आपने जिम के लिए पैसे तो भर दिए, लेकिन अब आप वहां जा नहीं रहे हैं। जिंदगी में आलसी होने से आसान कोई दूसरा काम नहीं है। आपके किचन का नल टपक रहा है, लेकिन आप उस पर ध्यान देने के बजाय किसी बेवकूफी भरे टीवी सीरियल में व्यस्त होंगे।
आपको जरूरत बाजार जाकर सब्जी खरीदने की है, लेकिन आप है कि डिब्बाबंद भोजन से ही काम चलाए जा रहे हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि आप जो कार्य कर रहे हैं, वह आपको एक जैसा ही लगने लगता है और उसमें बोरियत महसूस होने लगती है। लेकिन सच तो यह है कि जिंदगी में हमेशा ही आपको रस नहीं मिल सकता, कुछ पलों के लिए आपको बोरियत भी झेलनी पड़ती है। ऐसे में खुद को यही कहिए कि यह भी जिंदगी का एक भाग है, अपने लक्ष्यों को पाने के लिए यह भी एक प्रकार का निवेश है। टालमटोल की प्रवृत्ति से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि हर समय खुद को चुनौती देते रहें। इससे आप बोरियत से बचे रहेंगे और आपमें नई ऊर्जा पैदा होगी। यह समझ लें कि कोई भी अपने ‘कम्फर्ट जोन’ में अपना साम्राज्य स्थापित नहीं कर सकता। ऐसा करना हर समय बिल्कुल संभव नहीं है।
जिंदगी का फलसफा है कि जो काम आप आज कर सकते हैं, उसे कल पर नहीं टालें। जब भी आप काम को अगले दिन के लिए टाल देते हैं, वहीं से हमारी जिंदगी में टालमटोल की प्रवृत्ति घर करने लगती है। यह प्रवृत्ति कई बार विफल होने के डर से भी पैदा होती है। हम कोई चीज इसलिए टालते जाते हैं क्योंकि हमें लगता है कि यह काम नहीं कर पाएंगे। यह आपके संदेहों और आत्मविश्वास की कमी से निपटने का एक तरीका मात्र हो सकता है।
अपनी टालमटोल की प्रवृत्ति को मात देने का सबसे अच्छा उपाय है खुद को व्यवस्थित करें। पहले तो यह तय करें कि आप चाहते क्या हैं और फिर उस कार्य को करने की डेडलाइन निर्धारित करें। अपनी प्राथमिकताएं तय करें। अगर आप उन्हें एक कागज पर लिख लेते हैं तो उससे भी शायद आपको मदद मिले। अगर आप कोई काम समय पर करते हैं तो खुद को शाबासी देना भी नहीं भूलें। इससे आपके कार्य में अद्भुत सुधार होगा। आप चाहे तो अपने किसी सहयोगी या अच्छे मित्र को खुद पर निगरानी रखने को भी कह सकते हैं। रोजाना यह सुनिश्चित करें कि आज का कार्य कल के लिए नहीं छूटेगा। विजेता कभी भी आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ते। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ने वाले ही विजयी होते हैं।
सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? सबसे पहले तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि टालमटोल की प्रवृत्ति की जिंदगी में घुसपैठ होने ही नहीं दी जाए। आपने जिम के लिए पैसे तो भर दिए, लेकिन अब आप वहां जा नहीं रहे हैं। जिंदगी में आलसी होने से आसान कोई दूसरा काम नहीं है। आपके किचन का नल टपक रहा है, लेकिन आप उस पर ध्यान देने के बजाय किसी बेवकूफी भरे टीवी सीरियल में व्यस्त होंगे।
आपको जरूरत बाजार जाकर सब्जी खरीदने की है, लेकिन आप है कि डिब्बाबंद भोजन से ही काम चलाए जा रहे हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि आप जो कार्य कर रहे हैं, वह आपको एक जैसा ही लगने लगता है और उसमें बोरियत महसूस होने लगती है। लेकिन सच तो यह है कि जिंदगी में हमेशा ही आपको रस नहीं मिल सकता, कुछ पलों के लिए आपको बोरियत भी झेलनी पड़ती है। ऐसे में खुद को यही कहिए कि यह भी जिंदगी का एक भाग है, अपने लक्ष्यों को पाने के लिए यह भी एक प्रकार का निवेश है। टालमटोल की प्रवृत्ति से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि हर समय खुद को चुनौती देते रहें। इससे आप बोरियत से बचे रहेंगे और आपमें नई ऊर्जा पैदा होगी। यह समझ लें कि कोई भी अपने ‘कम्फर्ट जोन’ में अपना साम्राज्य स्थापित नहीं कर सकता। ऐसा करना हर समय बिल्कुल संभव नहीं है।
जिंदगी का फलसफा है कि जो काम आप आज कर सकते हैं, उसे कल पर नहीं टालें। जब भी आप काम को अगले दिन के लिए टाल देते हैं, वहीं से हमारी जिंदगी में टालमटोल की प्रवृत्ति घर करने लगती है। यह प्रवृत्ति कई बार विफल होने के डर से भी पैदा होती है। हम कोई चीज इसलिए टालते जाते हैं क्योंकि हमें लगता है कि यह काम नहीं कर पाएंगे। यह आपके संदेहों और आत्मविश्वास की कमी से निपटने का एक तरीका मात्र हो सकता है।
अपनी टालमटोल की प्रवृत्ति को मात देने का सबसे अच्छा उपाय है खुद को व्यवस्थित करें। पहले तो यह तय करें कि आप चाहते क्या हैं और फिर उस कार्य को करने की डेडलाइन निर्धारित करें। अपनी प्राथमिकताएं तय करें। अगर आप उन्हें एक कागज पर लिख लेते हैं तो उससे भी शायद आपको मदद मिले। अगर आप कोई काम समय पर करते हैं तो खुद को शाबासी देना भी नहीं भूलें। इससे आपके कार्य में अद्भुत सुधार होगा। आप चाहे तो अपने किसी सहयोगी या अच्छे मित्र को खुद पर निगरानी रखने को भी कह सकते हैं। रोजाना यह सुनिश्चित करें कि आज का कार्य कल के लिए नहीं छूटेगा। विजेता कभी भी आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ते। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ने वाले ही विजयी होते हैं।