नासा भी एलियंसऔर दूसरे ग्रहों पर जीवन से जुड़ी संभावनाओं को गंभीरता से ले रहा है। उसके हालिया शोध से लगता है कि एलियंस का अस्तित्व है और आने वाले कुछ वर्षो में इन दूसरे ग्रह के प्राणियों से संपर्क साधा जा सकेगा। साथ ही अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं के बारे में भी स्थिति काफी कुछ स्पष्ट हो जाएगी। तो तैयार रहें एलिंयस को ‘हैलो’ कहने के लिए..
लंबे अरसे से धरतीवासियों के मन में एलियंस यानी दूसरे ग्रह के प्राणियों और यूएफओ यानी अनआइडेंटीफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स को लेकर कई प्रकार की जिज्ञासाएं रही हैं। साथ ही दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं के बारे में भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
नासा के इस विषय में किए गए कई अनुसंधान आम आदमी की जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए काफी हद तक मददगार भी साबित हुए हैं। हालिया शोध के आधार पर अंतरिक्ष विज्ञानियों को लगता है कि अगले दो दशकों में एलियंस से संपर्क साधने में मानव सफल हो जाएगा।
क्या हैं ये एलियंस वैज्ञनिकों का मत है कि पृथ्वी से दूर दूसरे ग्रहों पर भी जीवन है और वहां भी प्राणियों का निवास है। जिस तरह हम यहां जीवनयापन कर रहे हैं उसी तरह एलियंस भी जीवित हैं। बस फर्क है, तो हमारी और उनकी शारीरिक संरचना, खान-पान, रहन-सहन और यातायात के साधनों और संचार के तरीकों का। वे भी हमारी तरह घूमते-फिरते हैं और अपनी आवक-जावक के लिए यूएफओ या उड़न तश्तरियों का सहारा लेते हैं।
यही नहीं, कई लोगों ने तो इस तरह की उड़न तश्तरियों को आकाश में चमकते प्रकाश पुंज के रूप में देखने का दावा भी समय-समय पर किया है। वैज्ञानिक भी इसकी पुष्टि के प्रमाण जुटाने में लगे हुए हैं। कई तो अपनी खोज के बहुत निकट तक पहुंचने का दावा कर रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक द्वितीय विश्वयुद्घ के समय से ही एलियंस और उड़नतश्तरियों से जुड़ी खोज का आगाज हो गया था, जब कुछ लोगों ने इस तरह के यान देखे जाने की बात की। 1947 में एक अमेरिकी निजी विमानचालक ने जब यूएफओ देखने का दावा किया, तो विशेषज्ञों की रुचि इस विषय में और ज्यादा बढ़ गई।
डेरेक की खोजकीथ अर्नाल्ड के अनुसार उन्होंने ऐसे 9 ऑब्जेक्ट्स देखे, जो 1200 मील प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ रहे थे। अमेरिकी विशेषज्ञ डॉ. डेरेक का कहना है कि तकनीकी रूप से गैलेक्सीज में जीवन 10 हजार से भी अधिक आयामों में मौजूद है। पिछले वर्ष ही स्विस विशेषज्ञों के एक दल ने सौर मण्डल के बाहर पहले दो ग्रहों ‘ग्लाइज ५८१ सी’ और ‘डी’ को खोजने का दावा किया है। उनका कहना है कि यहां जीवन की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।
डॉ. डेरेक के अनुसार ऐसे ग्रह भी मौजूद हैं, जहां जीवन की संभावनाएं हैं। 76 वर्षीय डॉ. डेरेक सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्टेरियल इंटेलीजेंस प्रोजेक्ट के फाउंडर भी हैं। उन्होंने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला 1961 में रखी थी। नासा द्वारा हाल ही में एक ऐसा चित्र भी जारी किया गया है, जो काफी कुछ मानव आकृति से मिलता-जुलता है।
नासा के विशेषज्ञों का कहना है कि यह तस्वीर उन्हें मंगल ग्रह से प्राप्त हुई है। यह काफी कुछ हॉलीवुड के ख्याति प्राप्त फिल्म निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘जुरासिक पार्क’ के डायनासोर से मिलती-जुलती है। यह चित्र नासा की मार्स एक्सप्लोरिंग स्प्रिट द्वारा लिया गया है।
जिज्ञासा के लिए आर्थिक मदद ‘बॉयबैंड’ ग्रुप के पूर्व पॉप स्टार रॉबी विलियम्स तो एलियंस के बारे में जानने के लिए इसकदर बेताब हैं कि उन्होंने इस शोध के लिए आर्थिक मदद भी दे दी है। अब पॉप स्टार न्यूयॉर्क के गोडार्ड इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस स्टडी सेंटर की विजिट भी करेंगे और शोध से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे।
रॉबी का कहना है कि वे जब रात को सोते हैं, तो उन्हें उस दुनिया और एलियंस के सपने आते हैं, जिसके कारण रात में उनकी नींद खुल जाती है। इतना सब होने और अपनी बढ़ती जिज्ञासा को शांत करने के लिए ही रॉबी ने इस महत्वपूर्ण विषय पर शोध के लिए अपनी ओर से आर्थिक मदद की है। सिर्फ रॉबी ही नहीं, उनके कई मित्र भी अब इस काम में आर्थिक मदद के लिए आगे आ रहे हैं।
खास क्या है अगले वर्ष तक दूसरे ग्रह पर जीवन की खोज में महत्वपूर्ण मोड़ आने की संभावना विशेषज्ञ जता रहे हैं। नासा द्वारा जल्दी ही केपलर स्पेस टेलीस्कोप नामक एक विशाल यंत्र लांच किया जा रहा है, जो इस खोज को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने में मददगार होगा। इसके माध्यम से सूर्य के चारों ओर स्थित ग्रहों, तारों और आकाशगंगाओं व उनसे संबंधित चीजों को बड़े आकार में स्केन करने में भी सहूलियत होगी।
फिल्में भी बनीं इस विषय के प्रति लोगों की उत्सुकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस पर बच्चों के लिए फिल्में, कॉमिक बुक्स व वीडियो गेम्स लगातार तैयार किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि ये लोकप्रिय भी खूब होते हैं। 1979 में रिडले स्कॉट ने एलियंस पर एक फिल्म बनाई थी और उसकी सफलता के बाद 1986 में इसका सीक्वल भी बना।
बाद में एलियंस पर कई फिल्में और भी बनती रहीं। भारत में भी निर्माता-निर्देशक राकेश रोशन द्वारा ‘कोई मिल गया’ नामक फिल्म में इस विषय को मनोरंजक अंदाज में प्रस्तुत किया गया। तो आप भी तैयार हो जाइए, हो सकता है किसी रात सोते वक्त खिड़की से एलियन आपको गुड नाइट कहने आ जाए।
लंबे अरसे से धरतीवासियों के मन में एलियंस यानी दूसरे ग्रह के प्राणियों और यूएफओ यानी अनआइडेंटीफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स को लेकर कई प्रकार की जिज्ञासाएं रही हैं। साथ ही दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं के बारे में भी तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
नासा के इस विषय में किए गए कई अनुसंधान आम आदमी की जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए काफी हद तक मददगार भी साबित हुए हैं। हालिया शोध के आधार पर अंतरिक्ष विज्ञानियों को लगता है कि अगले दो दशकों में एलियंस से संपर्क साधने में मानव सफल हो जाएगा।
क्या हैं ये एलियंस वैज्ञनिकों का मत है कि पृथ्वी से दूर दूसरे ग्रहों पर भी जीवन है और वहां भी प्राणियों का निवास है। जिस तरह हम यहां जीवनयापन कर रहे हैं उसी तरह एलियंस भी जीवित हैं। बस फर्क है, तो हमारी और उनकी शारीरिक संरचना, खान-पान, रहन-सहन और यातायात के साधनों और संचार के तरीकों का। वे भी हमारी तरह घूमते-फिरते हैं और अपनी आवक-जावक के लिए यूएफओ या उड़न तश्तरियों का सहारा लेते हैं।
यही नहीं, कई लोगों ने तो इस तरह की उड़न तश्तरियों को आकाश में चमकते प्रकाश पुंज के रूप में देखने का दावा भी समय-समय पर किया है। वैज्ञानिक भी इसकी पुष्टि के प्रमाण जुटाने में लगे हुए हैं। कई तो अपनी खोज के बहुत निकट तक पहुंचने का दावा कर रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक द्वितीय विश्वयुद्घ के समय से ही एलियंस और उड़नतश्तरियों से जुड़ी खोज का आगाज हो गया था, जब कुछ लोगों ने इस तरह के यान देखे जाने की बात की। 1947 में एक अमेरिकी निजी विमानचालक ने जब यूएफओ देखने का दावा किया, तो विशेषज्ञों की रुचि इस विषय में और ज्यादा बढ़ गई।
डेरेक की खोजकीथ अर्नाल्ड के अनुसार उन्होंने ऐसे 9 ऑब्जेक्ट्स देखे, जो 1200 मील प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ रहे थे। अमेरिकी विशेषज्ञ डॉ. डेरेक का कहना है कि तकनीकी रूप से गैलेक्सीज में जीवन 10 हजार से भी अधिक आयामों में मौजूद है। पिछले वर्ष ही स्विस विशेषज्ञों के एक दल ने सौर मण्डल के बाहर पहले दो ग्रहों ‘ग्लाइज ५८१ सी’ और ‘डी’ को खोजने का दावा किया है। उनका कहना है कि यहां जीवन की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।
डॉ. डेरेक के अनुसार ऐसे ग्रह भी मौजूद हैं, जहां जीवन की संभावनाएं हैं। 76 वर्षीय डॉ. डेरेक सर्च फॉर एक्स्ट्रा टेरेस्टेरियल इंटेलीजेंस प्रोजेक्ट के फाउंडर भी हैं। उन्होंने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला 1961 में रखी थी। नासा द्वारा हाल ही में एक ऐसा चित्र भी जारी किया गया है, जो काफी कुछ मानव आकृति से मिलता-जुलता है।
नासा के विशेषज्ञों का कहना है कि यह तस्वीर उन्हें मंगल ग्रह से प्राप्त हुई है। यह काफी कुछ हॉलीवुड के ख्याति प्राप्त फिल्म निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘जुरासिक पार्क’ के डायनासोर से मिलती-जुलती है। यह चित्र नासा की मार्स एक्सप्लोरिंग स्प्रिट द्वारा लिया गया है।
जिज्ञासा के लिए आर्थिक मदद ‘बॉयबैंड’ ग्रुप के पूर्व पॉप स्टार रॉबी विलियम्स तो एलियंस के बारे में जानने के लिए इसकदर बेताब हैं कि उन्होंने इस शोध के लिए आर्थिक मदद भी दे दी है। अब पॉप स्टार न्यूयॉर्क के गोडार्ड इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस स्टडी सेंटर की विजिट भी करेंगे और शोध से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे।
रॉबी का कहना है कि वे जब रात को सोते हैं, तो उन्हें उस दुनिया और एलियंस के सपने आते हैं, जिसके कारण रात में उनकी नींद खुल जाती है। इतना सब होने और अपनी बढ़ती जिज्ञासा को शांत करने के लिए ही रॉबी ने इस महत्वपूर्ण विषय पर शोध के लिए अपनी ओर से आर्थिक मदद की है। सिर्फ रॉबी ही नहीं, उनके कई मित्र भी अब इस काम में आर्थिक मदद के लिए आगे आ रहे हैं।
खास क्या है अगले वर्ष तक दूसरे ग्रह पर जीवन की खोज में महत्वपूर्ण मोड़ आने की संभावना विशेषज्ञ जता रहे हैं। नासा द्वारा जल्दी ही केपलर स्पेस टेलीस्कोप नामक एक विशाल यंत्र लांच किया जा रहा है, जो इस खोज को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने में मददगार होगा। इसके माध्यम से सूर्य के चारों ओर स्थित ग्रहों, तारों और आकाशगंगाओं व उनसे संबंधित चीजों को बड़े आकार में स्केन करने में भी सहूलियत होगी।
फिल्में भी बनीं इस विषय के प्रति लोगों की उत्सुकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस पर बच्चों के लिए फिल्में, कॉमिक बुक्स व वीडियो गेम्स लगातार तैयार किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि ये लोकप्रिय भी खूब होते हैं। 1979 में रिडले स्कॉट ने एलियंस पर एक फिल्म बनाई थी और उसकी सफलता के बाद 1986 में इसका सीक्वल भी बना।
बाद में एलियंस पर कई फिल्में और भी बनती रहीं। भारत में भी निर्माता-निर्देशक राकेश रोशन द्वारा ‘कोई मिल गया’ नामक फिल्म में इस विषय को मनोरंजक अंदाज में प्रस्तुत किया गया। तो आप भी तैयार हो जाइए, हो सकता है किसी रात सोते वक्त खिड़की से एलियन आपको गुड नाइट कहने आ जाए।
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