Wednesday, July 30, 2008

मेरी आवाज ही पहचान है..


लुधियाना.यूं मंजिलों की तरफ बढ़ना आसान न था, यूं बार-बार गिरकर उठना आसान था, फिर यूं उठा कि हर दिल का अरमान बन गया.. घड़ी यूं बदली कि हर दिल का ’अरमान‘ मिट गया। इश्मित के लिए यह पक्तियां किसी कवि या शायर ने नहीं लिखीं बल्कि हर दिल की आवाज है, जिसने इश्मीत को गाते हुए सुना है। मंगलवार की शाम करोड़ों हिंदुस्तानियों के लिए गमगीन अंधेरा लेकर आई। यहां घर-घर में लोग टेलीविजन के प्राइम टाइम को रोज की तरह मनलुभावन सा देखना चाहते थे, मगर न्यूज चैनल्स पर आई ब्रेकिंग न्यूज की पट्टी ने मनलुभावन शब्द के मायने ही बदल दिए। इस सदमे से इश्मित सिंह के चाहने वाले शायद ही उबर पाएं, मगर रियालिटी शो के इस रीयल हीरो के दुनिया से जाने का गम उसे सच्चे दिल से दी गई श्रद्धांजलि ही कम कर सकती है।
आज मैं ऊपर, आसमां नीचे.. यह गाना गाने वाला इश्मित इतनी जल्दी इस दुनिया को छोड़कर चला जाएगा, यकीन नहीं होता। हम जितना भी इस युवा गायक के बारे में सोचते हैं, उतनी ही मीठी यादें ताजा हो जाती हैं। 19 साल का यह फरिश्तों सा गायक जो खुद पानी की तरह था, जो हर हाल में खुद को ढाल लेता था, आखिर पानी की भेंट चढ़ गया। दूसरों के छोटे से दुख से उसकी आंखें छलक आती थीं। आज वह अपने चाहने वालों की आखों में ढेरों आंसू छोड़ गया।
सफर जिंदगी का
धर्म को समर्पित और एक कर्मठ परिवार में जन्मा इश्मित बचपन से ही होनहार था। शास्त्री नगर स्थित घर के आसपास वह अपनी गायकी के साथ ही मजाकिया लेकिन रिजर्व अंदाज के लिए पापुलर था।
जीतना था जुनून
हर मैदान में जीतना उसका जुनून था। चाहे गायकी हो या पढ़ाई उसने हर जगह अच्छा प्रदर्शन किया। गुरु नानक पब्लिक स्कूल का स्टूडेंट रहा इश्मित अपने दोस्तों में दोस्ती के साथ ही पढ़ाई में होशियारी के लिए भी जाना जाता था। यही वजह था कि मुश्किल माने जाने वाले चार्टेड अकाउंटेंसी के कोर्स के शुरुआती एग्जाम उसने बहुत आराम से पास कर लिए थे। संस्थान के नियम बदलने की वजह से सीए न कर पाने का उसे अफसोस भी था। मुझे याद है कि एक निजी मुलाकात में उसने कहा था कि अब बीकॉम के साथ सीए नहीं कर पाऊंगा।
जगजीत के बेटे की याद में मिला पहला सम्मान
गजल गायक जगजीत सिंह के मरहूम बेटे विवेक सिंह की याद में स्थापित किया गया पहला अवार्ड इश्मित को दिया गया था। लुधियाना में हुए कार्यक्रम के दौरान अवार्ड प्राप्त करते हुए जहां इश्मित फफक-फफक कर रो पड़ा था, वहीं खुद जगजीत और चित्रा सिंह की छलकती आखें रुकने का नाम नहीं ले रही थीं।
कंपनियों का भी बना चहेतावॉयस ऑफ इंडिया बनने से पहले ही इश्मित काफी लोकप्रिय हो गया था। कंपनियां भी उसे अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाने के लिए रुचि दिखा रही थीं। फाइनल से पहली ही सोनाटा कंपनी ने अपनी युवा घड़ियों की रेंज उसी से लांच करवाई थी। कीर्ति लाल ज्यूलर ने उसे हीरों से नवाजा था, तो पंजाब स्टेट लॉजरीज ने भी उसे अपनी लॉटरीज का ब्रांड एम्बेसडर बनाया था।
दुनिया घूमने के लिए था उत्साहित
वॉयस ऑफ इंडिया बनने के बाद जब उसे 50 देशों में शो करने का कार्यक्रम दिया गया तो वह काफी उत्साहित था। उसका कहना था कि दुनिया भर में अपना टैलेंट इस तरह दिखाना खास तजुर्बा रहेगा।
मुंबई में नहीं लगा था दिल
तरक्की और शोहरत की खातिर मुंबई गए इश्मीत का दिल अपने शहर और दोस्तों में बसा था। एक निजी मुलाकात में उसने कहा था कि मुंबई में तो अपने लिए वक्त ही नहीं मिलता चौबीस घंटे बस काम ही काम।
पब्लिसिटी से दूर
लुधियाना आने पर अक्सर इश्मीत घर में आराम करने और अपने दोस्तों के साथ समय बिताने को तरजीह देता था। कई बार परिवार के लोग चाहते भी थे कि वह मीडिया से इंटरेक्ट करे तो इश्मित टालने की कोशिश करता था।
तिरंगे पर नहीं दिया ऑटोग्राफ
इश्मित देश-भक्ति से सराबोर था। लुधियाना में एक कार्यक्रम के दौरान एक नन्हे प्रशंसक ने जब छोटे से तिरंगे पर उससे ऑटोग्राफ देने को कहा तो इश्मित ने बच्चे को समझाया कि राष्ट्रीय झंडे का सम्मान रखने के लिए ऐसा नहीं करते।
कंपनी को झुकाया
गुरुद्वारा दुखनिवारण साहिब में अरदास में किए वादे के मुताबिक वह अपनी पहली धार्मिक एलबम निकालना चाहता था, लेकिन कंपनी उसकी कमर्शियल एलबम लाना चाहती थी। इश्मित की भावनाओं के आगे झुकते हुए बिग म्यूजिक ने उसकी धार्मिक एलबम को रिलीज किया।
नहीं मनेगा जन्मदिन का जश्न
तीन सितंबर को इश्मित के जन्मदिन को लेकर सभी दोस्त उत्साहित थे। वायस आफ इंडिया बनने के बाद सभी ने उसका जन्मदिन का जश्न मनाने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन अब सबके चहरों पर उदासी छा गई है।
अभी तो उसे महाराजा रणजीत सिंह बनना था
इश्मित की शख्सियत को देखकर बॉलीवुड अभिनेता राज बब्बर ने उसे महाराजा रणजीत सिंह की किशोर अवस्था का रोल ऑफर किया था। साल के अंत में शुरू होने वाले सीरियल की शूटिंग उसने विदेश दौरे से लौट कर शुरू करनी थी। इश्मित को बॉलीवुड के दिग्गज संगीतकार उत्तम सिंह ने भी गाने का प्रस्ताव दिया था।

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